भारत में समय-समय पर कुछ दवाओं को प्रतिबंधित किया जाता है ताकि जन सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और अद्यतन चिकित्सा अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जा सके। यहाँ भारत में प्रतिबंधित कुछ सामान्य दवाओं की सूची और उनके प्रतिबंध के कारण दिए गए हैं:
1. निमेसुलाइड (12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए)
- कारण: निमेसुलाइड एक दर्द निवारक और बुखार को कम करने वाली दवा है। इसे 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया गया था क्योंकि इससे यकृत विषाक्तता (लिवर टॉक्सिसिटी) और गंभीर प्रतिकूल प्रभावों का जोखिम था, जो बच्चों के लिए असुरक्षित माने गए।
2. एनालजिन (मेटामिज़ोल)
- कारण: एनालजिन, जिसे मेटामिज़ोल भी कहा जाता है, एक दर्द निवारक दवा है जिसे एग्रानुलोसाइटोसिस (एक गंभीर स्थिति जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है) के जोखिम के कारण प्रतिबंधित किया गया था। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।
3. सिसाप्राइड
- कारण: सिसाप्राइड का उपयोग गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों के इलाज के लिए किया जाता था। इसे प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि इससे गंभीर हृदय अतालता (अनियमित दिल की धड़कन) होने का जोखिम था।
4. फेनिलप्रोपेनोलमाइन (PPA)
- कारण: PPA का उपयोग कई सर्दी और खांसी की सिरप और डीकोन्जेस्टेंट में किया जाता था। इसे मस्तिष्क में रक्तस्राव (हेमरेजिक स्ट्रोक) के बढ़ते जोखिम के कारण प्रतिबंधित किया गया, विशेष रूप से युवा महिलाओं में।
5. रोज़िग्लिटाज़ोन
- कारण: रोज़िग्लिटाज़ोन एक एंटी-डायबिटिक दवा थी जिसका उपयोग टाइप 2 डायबिटीज के लिए किया जाता था। इसे हृदय के दौरे और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं के बढ़ते जोखिम के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया।
6. ऑक्सिफेनबुटाज़ोन
- कारण: ऑक्सिफेनबुटाज़ोन, एक नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) थी, जिसे गंभीर प्रतिकूल प्रभावों के कारण प्रतिबंधित किया गया था, जिसमें बोन मैरो डिप्रेशन और अन्य गंभीर रक्त विकार शामिल थे।
7. टिगेसीक्लाइन
- कारण: टिगेसीक्लाइन एक एंटीबायोटिक है जिसका उपयोग जटिल त्वचा और पेट के संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता था। इसे अन्य एंटीबायोटिक्स की तुलना में दवा लेने वाले रोगियों में मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था।
इन प्रतिबंधों का उद्देश्य लोगों को संभावित स्वास्थ्य जोखिमों से बचाना और चिकित्सा उपचार की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है।
India periodically bans certain medicines to ensure public
safety and to comply with updated medical research and international standards.
Here is a list of some commonly banned medicines in India and the reasons for
their ban:
1. Nimesulide (for children below 12 years)
- Reason: Nimesulide
is a pain-reliever and fever-reducing drug. It was banned for children below 12
years due to the risk of liver toxicity and severe adverse effects, which were
considered unsafe for children.
2. Analgin (Metamizole)
- Reason: Analgin,
also known as Metamizole, is a painkiller that was banned due to the risk of
agranulocytosis, a serious condition that lowers white blood cell count and can
lead to a weakened immune system and increased risk of infections.
3. Cisapride
- Reason: Cisapride
was used to treat gastroesophageal reflux disease (GERD) and other
gastrointestinal disorders. It was banned because of its potential to cause
severe cardiac arrhythmias (irregular heartbeats).
4. Phenylpropanolamine (PPA)
- Reason: PPA was
used in many cold and cough syrups and decongestants. It was banned due to the
increased risk of hemorrhagic stroke (bleeding in the brain) associated with
its use, especially in young women.
5. Rosiglitazone
- Reason:
Rosiglitazone was an anti-diabetic medication used for type 2 diabetes. It was
banned due to an increased risk of heart attacks and other cardiovascular
issues in patients taking the drug.
6. Oxyphenbutazone
- Reason:
Oxyphenbutazone, a non-steroidal anti-inflammatory drug (NSAID), was banned
because of severe adverse effects, including bone marrow depression and other
serious blood disorders.
7. Tigecycline
- Reason:
Tigecycline is an antibiotic used for treating complicated skin and
intra-abdominal infections. It was banned due to an increased risk of mortality
in patients taking the drug compared to other antibiotics.
No comments:
Post a Comment